"अहंकारको आयु लामो हुदैन " (प्रतियोगिताको निम्ति )
लाई सुन्दर शैल फेटा पगरी, बाधी टाई सुन्दर !
लाई कोट दुरुस्त मिल्ने शिरमा, ढाका टोपी मन्जिल !!
पहिरेको चश्मा मुहारभरीका, पाउडरको चमक !
किन्तु मानवमा रहे अहंकार, हुदैन आयु चीर !!
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साट्लान प्रेम सुटुक्क ती परेवा झैँ , जोडि एक सुन्दर !
नाच्लान जोडि मयुर ती नाचे झैँ , मायाप्रीति प्रखर !!
लाखौ काब्य कला, गला र लयको बनेर आकर्षण !
यदि हृदयमा रहे अहंकार बन्नेछ मात्रै कण !!
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लेख्लान काब्य सरस खण्डलहर, आनन्द मानिकन !
बन्लान पण्डित बेद पुराण पढेर, आध्यात्मीक जीवन !!
लाखौ प्रबचन नीति र रीतिको ,दिएर उपदेश !
किन्तु मानवभित्र रहे अहंकार, बन्ला शुन्य जीवन !!
--------------------३ ------------------------------------
हेर्दै लेख्ला नटुंगिने गरी यहाँ , साहित्यका सागर !
सोच्दै लेख्ला असीम सृजना, साहित्यका रचना !!
कैयन मिल्ला इनाम कदर, जयकारको साकार !
तर मानवभित्र रहे अहंकार, बन्ला जीवन बेकार !!
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(समाप्त )
डा. दीपक यात्री
प्रमुख सूचना प्राबिधिक
नेपाल क्यान्सर हस्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर
स्थायी :लेखनाथ -२७, कास्की नेपाल
सम्पर्क मोबाइल न : ९८१३४५६३७४
ई-मेल : iamyatree@rediffmail.com
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