Tuesday, March 26, 2019

आज नारी दिवस मनाऔ जन हो,संसार बिधाताकी

आज नारी दिवस मनाऔ जन हो,संसार बिधाताकी

चौडा आकाश बिशाल छाति भएकी,मायालुकी खानी ती !
धरती झैँ सहनशील मुटु भएकी, लजालु स्वभावकी !!
फूलको रंग छर्केर हो कि चेहरा ,पुर्णिमाकी चादनी !
आज नारी दिवस मनाऔ जन हो,संसार बिधाताकी !!
--------------१-----------------------------------------
पानी झैं पारदर्शक मन उनको,दिल बगैचा जसै !
फक्रेका फूल छर्दै सुबासभरिको ,स्वर्गिए संसार झैँ !!
आधा मात्रै नभन हक उनको ,हुन्छिन अर्धांगिनी !
आज नारी दिवस मनाऔ जन हो,संसार बिधाताकी !!
------------------२------------------------------------
सीताको अगनी परिक्षा हेरौ वा ,द्रौपदीको हरण !
सत्यवान सावित्री पतिब्रतामा,जीवन औ मरण !!
छोरीको रुपबाट सिर्जित उनी,बन्छिन माता पोषणी !
आज नारी दिवस मनाऔ जन हो,संसार बिधाताकी !!
------------------३----------------------------------------
चुलाचौका नातेदार ईष्ट सबकी ,सत्कार हुन् घरकी !
कोमल छन् तर कमजोर हैनन् ,श्रिङ्गारकी पारखी !!
खुशी होलान देबगण भुवनका ,खुशी रहे नारी ती !
आज नारी दिवस मनाऔ जन हो,संसार बिधाताकी !!
-----------४---------------------------------
----------(समाप्त )--------------