यो यात्रीको कबि मन अब ,थामियोस कसोरी !
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गैरीटारी पलपल धानका ,बालाभित्र झुलेका !
त्यही टारीको मुटु भित्रै सानो गोठ ठडेका !!
किसानबा गर्छन रेखदेख ,गोठबाटै नियाली !
यो यात्रीको कबि मन अब ,थामियोस कसोरी !!
------------अ -------------------------------------
हरा रंगको कोदो ,पुष्टक परी परी फसल !
धर्ती सारा हरा ,प्रणय मन भो यत्रतत्र !!
मौरी नाच्न थाले ,हरीत घासको पातमाथी !
यो यात्रीको कबि मन अब ,थामियोस कसोरी !!
------------आ--------------------------------
उषा फैले धर्तीउपर,किरण बिस्कुन सरी !
टल्के ढुंगे छाना ,टारीबारीसंग लाई मितेरी !!
खोलानाला बग्ने सललल ,सुसाउदै सुसेली !
यो यात्रीको कबि मन अब ,थामियोस कसोरी !!
----------------इ ---------------------------------------
हाम्रा सुन्दर पहाड ,स्वर्गीय ती गाउबस्ती !
दल्दै रातोमाटो र कमेरोले बनेका गृहस्थी !!
हेर्दै लोभ लाग्ने,प्रकृतीको दान स्वर्गे माथी !
यो यात्रीको कबि मन अब ,थामियोस कसोरी !!
------------------ई -------------------------------------
----------(समाप्त )--------------
--इ. दीपक यात्री
सिनियर इञ्जिनिएर ;भेरिएन सिस्टम
हैदराबाद भारत
स्थायी ठेगाना: लेखनाथ -६ ,कास्की नेपाल
--इ. दीपक यात्री
सिनियर इञ्जिनिएर ;भेरिएन सिस्टम
हैदराबाद भारत
स्थायी ठेगाना: लेखनाथ -६ ,कास्की नेपाल
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