Thursday, June 2, 2016

"आज नारी दिवस मनाऔ जन हो,संसार बिधाताकी"

आज नारी दिवस !
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ॥
अर्थात् जहाँ नारी पुजिञ्छिन;त्यहाँ देवता खुसी हुन्छन |
यही दिवसमा नारीलाई श्रद्धा गर्दै हरफहरु :
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"आज नारी दिवस मनाऔ जन हो,संसार बिधाताकी"

चौडा आकाश बिशाल छाति भएकी,मायालुकी खानी ती !
धरती झैँ सहनशील मुटु भएकी, लजालु स्वभावकी !!
फूलको रंग छर्केर हो कि चेहरा ,पुर्णिमाकी चादनी !
आज नारी दिवस मनाऔ जन हो,संसार बिधाताकी !!
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पानी झैं पारदर्शक मन उनको,दिल बगैचा जसै !
फक्रेका फूल छर्दै सुबासभरिको ,स्वर्गिए संसार झैँ !!
आधा मात्रै नभन हक उनको ,हुन्छिन अर्धांगिनी !
आज नारी दिवस मनाऔ जन हो,संसार बिधाताकी !!
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सीताको अगनी परिक्षा हेरौ वा ,द्रौपदीको हरण !
सत्यवान सावित्री पतिब्रतामा,जीवन औ मरण !!
छोरीको रुपबाट सिर्जित उनी,बन्छिन माता पोषणी !
आज नारी दिवस मनाऔ जन हो,संसार बिधाताकी !!
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चुलाचौका नातेदार ईष्ट सबकी ,सत्कार हुन् घरकी !
कोमल छन् तर कमजोर हैनन् ,श्रिङ्गारकी पारखी !!
खुशी होलान देबगण भुवनका ,खुशी रहे नारी ती !
आज नारी दिवस मनाऔ जन हो,संसार बिधाताकी !!
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----------(समाप्त )--------------

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